प्रकाशित - 18 Jun 2024
किसान धान, गेहूं, सब्जी की खेती के अलावा फूलों की खेती से भी काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। फूलों की खेती के तहत किसान जरबेरा की खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं। आज कई किसान जरबेरा की खेती (Gerbera cultivation) करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं। खास बात यह है कि जरबेरा की खेती के लिए सरकार की ओर से किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी (subsidy) दी जाती है। ऐसे में किसान बहुत ही कम लागत पर जरबेरा की खेती करके काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
महानगरों में इसकी डिमांग भी काफी अधिक है, ऐसे में जरबेरा की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। आज छत्तीसगढ़ व यूपी के कई किसान जरबेरा की खेती करके काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि किसान एक एकड़ में जरबेरा की खेती करते हैं तो उन्हें सालाना 10 से 12 लाख रुपए की आय हो सकती है।
जरबेरा एक फूल है जिसे सजावट के काम में लिया जाता है। इसकी बाजार में काफी मांग होने से कई किसान इसकी खेती करने लगे हैं। जरबेरा को गरबेरा डेजी, गेरबर डेजी, अफ्रीकी डेजी, बार्बरटन डेजी, ट्रांसवाल डेजी आदि नामों से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम जरबेरा जेमेसोनी है यह एक संकर प्रजाति का पौधा है। यह पौधा एस्टरेसिया परिवार का सदस्य है। इसका पौधा बारहमासी, वार्षिक और शाकाहारी होता है। परिपक्व होने पर इसका आकार 12-18 इंच लंबा और 12-15 इंच चौड़ा हो जाता है। यह फूल अपनी उन्नत किस्मों के कारण पीला, नारंगी, लाल, गुलाबी, सफेद और लैवेंडर रंग में पाया जाता है। जरबेरा का मूल क्षेत्र अफ्रीका माना जाता है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना और संरक्षित खेती के तहत किसानों को पॉली हाउस तकनीक से फूलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जरबेरा की खेती के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा किसान को पॉली हाउस निर्माण व पौधरोपण के लिए 50-50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। एक एकड़ में जरबेरा के करीब 26 हजार पौधे रोपे जा सकते हैं।
जरबेरा की खेती के लिए खेत की दो से तीन बार जुताई करके अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए। इसके बाद एक मीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर उठी हुई बेड तैयार करें। अब दो भाग में रेत, एक भाग में नारियल या धान का भूसा और एक भाग में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट लेकर मिश्रण बना लें और उसे बेड पर डालें। इसके बाद इन बेड पर पौधों की रोपाई करें। खेत की तैयारी के समय वर्मी कम्पोस्ट या सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन, फास्फोरस 40 किलोग्राम, पोटश 40 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में मिला दें। यदि जमीन में लोह तत्व की कमी है तो इसमें फेरस सल्फेट 10 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से डालें। बुवाई के 4 से 5 हफ्ते बाद, नाइट्रोजन 40 किलो प्रति एकड़ की दर से 30 दिन के अंतराल में डालें। खेत में खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई का काम करें। पौध रोपण से पहले मिट्टी की हल्की सिंचाई करें और पौधरोपण के बाद भी सिंचाई करें। सर्दियों में इसकी 10 से 12 दिन के अंतराल में हल्की सिंचाई करें। वहीं गर्मियों में 6 से 7 दिन के अंतराल में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई सिस्टम का प्रयोग किया जा सकता है। तीन महीने के बाद इसमें फूल आने लगते हैं। इसका पौधा 5 साल तक फूलों का उत्पादन देता है।
किसान भाई सरकारी या प्राईवेट नर्सरी से इसका पौधा ले सकते हैं। इसके प्रति पौधे की कीमत करीब 30 से 40 रुपए होती है। इसके अलावा अमेजन जैसी ऑनलाइन साइट्स से भी इसका पौधा खरीदा जा सकता है।
जरबेरा की खेती के लिए एक एकड़ में पॉली हाउस निर्माण में 30 लाख रुपए का खर्च आता है। इसमें से सरकार की ओर से पॉली हाउस निर्माण के लिए 16 लाख 80 हजार रुपए का अनुदान मिल जाता है। वहीं जरबेरा के पौध रोपण में करीब 28 लाख रुपए का खर्च आता है। इसमें से सरकार की ओर से 14 लाख रुपए का अनुदान मिल जाता है।
जरबेरा की खेती से किसान सालाना 10 से 12 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं। शादी व धार्मिक आयोजनों के सीजन में जरबेरा फूल 5 से 7 रुपए तक प्रति नग के हिसाब से बेचा जाता है। जबकि सामान्य सीजन में ढाई से तीन रुपए प्रति नग के हिसाब से इसकी बिक्री होती है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, नागपुर सहित अन्य महानगरों में इसकी अधिक डिमांड है। इस फूल का उपयोग गुलदस्ते बनाने में अधिक किया जाता है। इसके अलावा इसके फूलों माला भी बनती है। शादी के सीजन में इसके फूलों के गुलदस्ते और माला की बाजार मांग अच्छी रहने से इसकी खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।
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