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जरबेरा के फूलों की खेती : एक बार लगाएं, 36 महीनों तक 300 प्रतिशत तक मुनाफा पाएं

Published - 21 Jul 2021

फूलों की खेती ( Gerbera flower cultivation ) : जानें, जरबेरा फूल की खेती कैसे करें

आजकल किसानों को परपंरागत फसलों से अपना मोह हटा कर ऐसी फसलों पर काम करना चाहिए जो व्यावसायिक दृष्टि से ज्यादा लाभदायक हों। अगर किसान सुगंधित पुष्पों की खेती करना चाहते हैं तो यह बहुत ही मुनाफे वाली रहेगी। इसमें प्रमुख रूप गेंदा, गुलाब, जरबेरा, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी आदि हैं। आज आपको बताते हैं सबसे अधिक लाभप्रद फूलों की खेती जरबेरा के बारे में। जरबेरा मूलत: अफ्रीका का पौधा है और विगत कई वर्षों से भारत में भी इसकी खेती के प्रति किसानों का रूझान बढता जा रहा है। जरबेरा के पौधे साल भर तक सुगंधित फूलों की उपज देते हैं। इसके पुष्पों की अलग की पहचान है। ये दिखने में इतने सुंदर होते हैं कि लोग बस एकटक इनको देखते ही रह जाते हैं। इसके अलावा इसमें लाल, पीले, नारंगी और सफेद रंग के फूल आते हैं। इन फूलों से शादी या अन्य समारोह में आकर्षक स्टेज सजाने के लिए अधिक उपयोग किया जाता है। एक हजार वर्ग मीटर एरिये में जरबेरा की खेती करने पर करीब साढे तीन लाख रूपये की लागत आती है।  इसकी तुलना में वर्ष भर में जरबेरा उत्पाक किसानों को साढे नौ लाख रूपये से अधिक की आय होती है जो लागत का करीब तीन गुना है। 

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कैसे करें जरबेरा की खेती 

आपको बता दें कि जरबेरा कीमती पुष्प है और इसकी बढिया पैदावार के लिए यह बहुत जरूरी है कि भूमि को  इस तरह से तैयार करें जिससे जल भराव नहीं हो। इसके लिए हल्की क्षारीय और उपजाउ किस्म की भूमि का चयन किया जाना चाहिए। खेत में कम से कम चार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा कर लें। इसके बाद गोबर की खाद के साथ उपलब्ध हो सके तो नारियल का भूसा भी डाला जा सकता है।  पौधों की रोपाई करते समय ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 30 से 40 सेमी की रहे। पौधों की सिंचाई रोजाना की जानी चाहिए। पौधे तीन माह बाद ही फूल देने लगते हैं। जरबेरा खेती करने के विशेषज्ञों का मानना है कि एक हजार वर्गमीटर भूमि में उगाए गए जरबेरा के पौधे पूरे साल फूल देते हैं। लेकिन पौधों के मध्य खरपतवार बिल्कुल भी नहीं पनपने दें। जरबेरा की खेती पॉलिहाउस में ही करनी चाहिए क्योंकि इन पौधों के लिए अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस ही होना ज्यादा उचित रहता है। 


दो माह तक यह करें 

जरबेरा की खासियत यह है कि इसमें पहले दो महीनों में जबर्दस्त कलियां  आती हैं। इन कलियोंं को तोडते रहना चाहिए। इसका लाभ यह रहता है कि जब तीन माह बाद पूरे शवाब के साथ फसल तैयार होती है तो रंग-बिरेंगे सुगंधित फूलों की बहार आ जाती है। आप यह देख कर दंग रह जाएंगे कि एक ही पौधे में सैकडों फूल खिल गए हैं। इनकी पंखुडियां तो जैसे मन मोह लेती हैं। 

 

ये हैं जरबेरा की किस्में 

जरबेरा एक ऐसा मनभावन फूलों का पौधा है जिसकी  मांग देश-विदेशों तक पूर वर्ष बनी रहती है। इसकी मुख्य 
किस्मों में लॉस डाल्फिन, सेंट्रल ओलंपिया, नवादा,कोरमॉरोन आदि प्रजातिया शामिल हैं। वहीं संकर किस्मों में रूबी रेड, डस्टी, शानिया, साल्वाडोर, तमारा, फ्रेडोरेल्ला, वेस्टा, रेड इम्पल्स, सुपरनोवा, नाडजा, डोनी, मेमूट, यूरेनस, फूलमून, तलाशा, पनामा, कोजक, केरेरा, मारसोल, ओरेंज क्यासिक, गोलियाथ, रोजलिन, वेलेंटाइन, मारमारा आदि मुख्य हैं। ये किस्में अधिक उपजाउ मानी जाती हैं। जरबेरा को घरेलू गमलों में लगा कर अपने घर को सुसज्जित करने का भी लाभ उठाया जा सकता है। 


प्रति एकड 28 हजार जरबेरा के बीज की जरूरत

प्रति एकड में  लगभग 28 हजार जरबेरा के बीजों की जरूरत होती है। जरबेरा की खेती का सीजन यूं तो वसंत ऋतु से ही शुरू हो जाता है। यह ग्रीष्मकाल यानि जून-जुलाई तक चलता है।


यूपी का बारांबकी जिला सबसे अग्रणी 

जरबेरा की खेती के लिए उत्तरप्रदेश का बारांबकी जिला सबसे अग्रणी जिला बन गया है। यहां  कई युवा नौकरी छोड कर जरबेरा की खेती करने में दिलचस्पी ले रहे हैं। यूपी के ऐसे ही युवक वैभव पांडेय का नाम पूरे देश में चर्चित हो रहा है। 

 

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