कपास की खेती : आईसीएआर ने लांन्च की कपास की बेहतर पैदावार देने वाली 5 नई किस्में

Share Product प्रकाशित - 20 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

कपास की खेती : आईसीएआर ने लांन्च की कपास की बेहतर पैदावार देने वाली 5 नई किस्में

जानें, कौनसी है यह कपास की किस्में और क्या है इसकी विशेषता और लाभ

Top 5 varieties of cotton : कपास (Cotton) की अधिक पैदावार के लिए वैज्ञानिकों की ओर से कपास की कई नई किस्में विकसित की गई हैं। इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कपास की 5 बेहतर उत्पादन देने वाली किस्मों को लांन्च किया है। इन किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत विभिन्न संस्थानों में विकसित किया गया है। कपास की ये अलग-अलग किस्में अलग-अलग राज्यों के लिए अनुकूल पाई गई हैं। ऐसे में किसान अपनी आवश्यकतानुसार अपने क्षेत्र के हिसाब से कपास की किस्म का चयन कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि आगामी सीजन में किसानों के लिए कपास की खेती (Cotton Cultivation) के लिए यह किस्में काफी लाभकारी साबित हो सकती हैं, तो आइये जानते हैं, इन किस्मों की विशेषता और लाभ के बारे में।

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‘PDKV Dhawal (AKA-2013-8)’

कपास की यह हाइब्रिड किस्म वर्षा आधारित स्थिति में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को एआईसीआरपी, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र की ओर से प्रस्तुत किया गया है। यह किस्म लीफ हॉपर, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति सहनशील है। इसके अलावा यह किस्म मायरोथेसियम पत्ती धब्बा, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, ग्रे फफूंद के प्रति प्रतिरोधी है। यह किस्म 160 से 180 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म से 12.84 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस कपास की किस्म को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व गुजरात जैसे राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है।

‘CICR-H Bt कपास 40 (ICAR-CICR-PKV 081 Bt)’

कपास की यह किस्म भी हाइब्रिड किस्म है जिसे साउथ जोन के लिए अनुशंसित किया गया है। यह भी वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त किस्म है। इस किस्म को आईसीएआर- केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र दक्षिण क्षेत्र की ओर से प्रस्तुत किया गया है। कपास की यह किस्म बैक्टीरियल, ब्लाइट, ग्रे फफूंदी, लीफ स्पॉट, अल्टरनेरिया, मायरोथसियम, कोरिनोस्पोरा जैसे अधिकांश रोगों के प्रति सहनशील है। वहीं यह किस्म जैसिड्स, एफिड्स, थ्रिप्स, लीफ हॉपर कीटों के प्रति भी सहनशील है।  

शालिनी (CNH 17395) (CICR-H कपास 58)

यह भी कपास की हाइब्रिड किस्म है जिसे आईसीएआर केंद्रीय कपड़ा अनुसंधान संस्थान, नागपुर महाराष्ट्र द्वारा प्रस्तुत किया गया है। कपास की यह किस्म वर्षा आधारित खरीफ की स्थिति के लिए उपयुक्त है। यह किस्म फ्यूजेरियम विल्ट रोग प्रतिरोधी है। अत्यधिक संवेदनशील एफिड संक्रमण के प्रति मध्यम सहिष्णु है। कपास की यह किस्म 127 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की उपज क्षमता 14.41 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इस किस्म में उच्च तेल सामग्री 34.3 प्रतिशत है। इस किस्म को महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना राज्य के लिए अनुशंसित किया गया है।

‘CICR-H Bt कपास 65 (ICAR-CICR 18 Bt)’

कपास इस हाइब्रिड किस्म को आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च, नागपुर, महाराष्ट्र की ओर से प्रस्तुत किया गया है। इस किस्म की विशेषता यह है कि यह किस्म वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त है। यह किस्म अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी किस्म हैं। यह किस्म जैसिड्स, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई, एफिड्स जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है। इसके अलावा यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, अल्टरनेरिया लीफ ब्लाइट, ग्रे फफूंदी के प्रति सहनशील है। यह किस्म विशेष रूप से सेंट्रल जोन के लिए अनुशंसित की गई है। इस किस्म से 15.47 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक कपास का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म 140 से 150 दिन में तैयार हो जाती है।

‘CNH-18529 (CICR-H NC कपास 64)’

कपास की इस हाइब्रिड किस्म को आईसीएआर-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर, महाराष्ट्र की ओर से प्रस्तुत किया गया है। यह किस्म मध्य क्षेत्र की वर्षा आधारित और सिंचित स्थितियों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म 160 से 165 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म का रंग भूरा होता है। यह किस्म हाथकरघा बुनाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म चूसने वाले कीटों, बॉलवर्म के प्रति सहनशील है। वहीं अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, बैक्टीरियल ब्लाइट, कोरिनेस्पोरा पत्ती धब्बा रोग के प्रतिरोधी है। कपास की इस किस्म से 10.11 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म को महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए अनुसंशित किया गया है।

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