न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद : इस तारीख को शुरू होगी एमएसपी पर सरसों की खरीद

Share Product प्रकाशित - 21 Mar 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद : इस तारीख को शुरू होगी एमएसपी पर सरसों की खरीद

सरसों की एमएसपी पर खरीद का इंतजार कर किसानों को मिली राहत, जानें, सरसों का नया रेट

रबी फसल की कटाई शुरू होने के साथ ही किसान सरसों की फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद का इंतजार कर रहे थे। ऐसा इसलिए कि बाजार में सरसों के भाव (Mustard price) एमएसपी (MSP) से भी नीचे हो गए। हालांकि त्योहारी सीजन होली पर सरसों के भाव में कुछ इजाफा देखा गया है, लेकिन इसके बाद भी कई किसान बाजार के रूख को देखते हुए सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price of Crop) पर अपनी सरसों की फसल बेचने के इच्छुक हैं। किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार की ओर से रबी फसल की सरकारी खरीद की तारीख का ऐलान कर दिया है।

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इस संबंध में हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जयप्रकाश दलाल ने एक्स पर पोस्ट कर गेहूं एवं सरसों की खरीद की तारीखों की जानकारी दी है। कृषि मंत्री ने एक्स पर ट्वीट कर जानकारी दी है कि पहले की तरह ही इस वर्ष भी प्रदेश की मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद 26 मार्च 2024 एवं गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू की होगी। राज्य सरकार की ओर से सरसों एवं गेहूं की एमएसपी पर खरीद की तैयारी पूरी कर ली है। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से खरीद केंद्र बनाए गए हैं जहां किसान अपनी फसल बेच सकते हैं।

सरसों की खरीद के लिए कहां-कहां बनाए गए हैं खरीद केंद्र (Where have procurement centers been set up for the purchase of mustard)

हरियाणा में रबी सीजन की सरसों व गेहूं की MSP पर खरीद (Purchase of mustard and wheat at minimum support price) के लिए खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इसमें सिरसा जिले में 63 खरीद केंद्र बनाए गए जिसमें चार नए खरीद केंद्र शामिल हैं। जिनमें गांव अबुबशहर, बणी, अलिकां, बडागुढा, भावदीन, भूर्टवाला, बप्पां, चौटाला, चक्का, बिज्जूवाली, डबवाली, दडबी, देसूजोधा, धोलपातिया, डिंग, पतलीडाबर, ढूढियांवाली, ऐलनाबाद, फग्गू, गंगा, घोडांवाली, गोरीवाला, हैबूआना, झोरडरोही, जीवननगर, कालांवाली, कागदाना, कालूआना, कमाल, करीवाला, खारियां, कुरंगावाली, कुतियाना, कुत्ताबढ़, लोहगढ़, मल्लेकां, सिरसा, पन्नीवाला, मारीकां, थिराज, हस्सू, केवल, साहूवाला, सुरतिया, जगमालवाली, बनवाला में खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इसी प्रकार राज्य के अन्य जिलों में सरसों खरीद बनाए गए हैं। राज्य में हैफेड द्वारा ही नैफेड के लिए सरसों की खरीद की जाएगी। इसी प्रकार सरसों की खरीद के लिए 104 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इसमें हिसार जिले में सरसों की खरीद के लिए 13 खरीद केंद्र बनाए हैं जिसमें हिसार, उकलाना, बास, हांसी, आदमपुर, बरवाला, घिराय, अग्रोहा, सिसाय, खेडी, बालसमंद, लोहचब व लौहारीराघो आदि मंडियों में खरीद केंद्र स्थापित किए गए है। 

सरकार किस भाव से किसानों से खरीदेगी सरसों (At what price will the government buy mustard from farmers)

केंद्र सरकार की ओर से सरसों का एमएसपी, रबी विपणन सीजन 2024 के लिए 5650 रुपए निर्धारित किया गया है जो पिछले सीजन से 200 रुपए अधिक है। ऐसे में किसानों से सरसों की खरीद इसी रेट पर की जाएगी। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से हर साल रबी व खरीफ सीजन के लिए बुवाई से पहले फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है और इसी मूल्य पर सभी राज्य सरकारें फसलों की खरीद करती हैं। हालांकि कई जगह राज्य सरकार अपने स्तर पर किसानों को बोनस की घोषणा भी करती है जिसका भुगतान राज्य सरकार की ओर से किसानों को अलग से किया जाता है।

सरसों खरीद के लिए क्या रहेंगे मानक (What will be the standards for purchasing mustard)

सरसों की खरीद के नियमानुसार सरसों में नमी की मात्रा 8 प्रतिशत निर्धारित की हुई है। यदि इससे सरसों में नमी होती है तो उसके बाजार में कम भाव मिलते हैं। इसलिए सरसों बेचने ले जाने से पहले किसान अपनी सरसों की फसल को सही से सुखाकर विक्रय के लिए लेकर जाए।

मंडियों में किसानों के लिए क्या की गई है व्यवस्था (What arrangements have been made for the farmers in the markets)

जिले की मंडियों में किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से मंडियों में पीने के पानी, बिजली, शौचालय सहित छाया की व्यवस्था की गई है। किसानों को फसल बेचने में सुविधा हो, इसके लिए सिरसा में चार नए खरीद केंद्र और खोले गए हैं। नए खरीद केंद्र खुलने से आसपास के किसानों को इसका लाभ मिलेगा।

कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार किसानों को गन्ना की एक ही प्रजाति पर हमेशा निर्भर नहीं रहना चाहिए। समय-समय पर प्रजाति में बदलाव करना चाहिए। अगर किसान लंबे समय तक एक ही प्रजाति की बिजाई करते हैं तो उसमें कई प्रकार के रोग लग जाते हैं और पैदावार में नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए किसानों को अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना चाहिए। वहीं किसानों को सलाह दी जाती है कि अपने क्षेत्र की जलवायु व खेत की मिट्‌टी के अनुसार स्थानीय कृषि अधिकारियों की सलाह के अनुसार ही गन्ने की खेती करें।

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