पीएम-आशा योजना : किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने दी 35,000 करोड़ रुपए की मंजूरी

Share Product प्रकाशित - 19 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

पीएम-आशा योजना : किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने दी 35,000 करोड़ रुपए की मंजूरी

जानें, क्या है पीएम-आशा योजना और इससे किसानों को कितना हो सकता है लाभ

PM-AASHA Scheme : सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम-आशा योजना (PM-ASHA Yojana) को जारी रखने की मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है यह योजना किसानों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य दिलाने में सहायता करेगी। इसी के साथ ही उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित किया जा सकेगा। इस योजना पर केंद्र सरकार 15वें वित्त आयोग के दौरान 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी।

क्या है पीएम-आशा योजना  (What is PM-AASHA scheme)

पीएम-आशा योजना (PM-AASHA Yojana) जिसका पूरा नाम प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान है जिसकी घोषणा केंद्र सरकार की ओर से सितंबर 2018 में की गई थी। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस योजना का जारी रखने की स्वीकृति दी है। केंद्र सरकार ने किसानों के हित में एक और कदम बढ़ाते हुए इसमें किसानों को लाभ देने वाली योजनाओं से जोड़ दिया है। अब इस योजना से किसानों और उपभोक्ता दोनों को लाभ होगा। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। सरकार को उम्मीद है कि यह योजना किसानों की आय में बढ़ोतरी करने में सहायक होगी।  

पीएम-आशा योजना में किन योजनाओं का किया गया है समावेश

किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से पीएम-आशा योजना (PM-AASHA Yojana) में सरकार ने जिन योजनाओं का समावेश किया गया है, वे योजनाएं इस प्रकार से हैं-

  • मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस)
  • मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ)
  • मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीओपीएस)
  • बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के घटक शामिल किए गए हैं।

पीएम-आशा योजना के तहत किन फसलों की होगी एमएसपी पर खरीद

पीएम-आशा योजना (PM-AASHA Yojana) में शामिल घटक मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme) के तहत एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद 2024-25 सीजन से इन अधिसूचित फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत होगी, जिससे राज्यों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और संकटपूर्ण बिक्री को रोकने के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) यानी एमएसपी (MSP) पर इन फसलों की अधिक खरीद की जा सकेगी। हालांकि यह बात 2024-25 सीजन के लिए तुअर, उड़द और मसूर के मामले में लागू नहीं होगी, क्योंकि 2024-25 सीजन के दौरान तुअर, उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद होगी जैसा कि पहले फैसला किया गया था।  

दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए 45,0000 करोड़ रुपए की गारंटी

सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए किसानों से मौजूदा सरकारी गारंटी का नवीनीकरण करते हुए उसे बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपए कर दिया है। इससे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) को किसानों से एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद करने में सहायता मिलेगी। इससे भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल (e-Samriddhi Portal) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्त संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल (e-Samyukti Portal) पर पहले से पंजीकृत किसान भी शामिल हैं, जब बाजार में कीमतें एमएसपी से नीचे गिरती हैं। इससे किसान देश में इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरित होंगे और इन फसलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में योगदान देंगे जिससे घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी।

मूल्य स्थिरीकरण कोष योजना (पीएसएफ) के विस्तार से क्या मिलेगा लाभ

पीएम आशा योजना  (PM-AASHA Yojana) में शामिल घटक- मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के विस्तार से दालों और प्याज के रणनीतिक सुरक्षित भंडार को बनाए रखने, जमाखोरी करने वालो और विवेकहीन अटकलें लगाने वालों को हतोत्साहित करने और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर आपूर्ति करने के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से बचाने में सहायता मिल सकेगी। जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से ऊपर होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) द्वारा की जाएगी, जिसमें नैफेड (NAFED) के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व पंजीकृत किसान भी शामिल होंगे। सुरक्षित भंडारण के रखरखाव के अलावा, पीएसएफ योजना (PSF scheme) के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी (subsidy) वाली खुदरा बिक्री में किया गया है।

मूल्य घाटा भुगतान योजना से किसानों को क्या होगा लाभ

राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए आगे आने के लिए, कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी के साथ ही किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को 3 महीने से बढ़ाकर 4 महीने कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले एमएसपी (MSP) और बिक्री/मॉडल मूल्य के बीच के अंतर का मुआवजा एमएसपी के 15 प्रतिशत तक सीमित रहेगा।

बाजार हस्तक्षेप योजना के विस्तार से क्या होगा लाभ

परिवर्तनों के साथ बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के कार्यान्वयन से खराब होने वाली बागवानी फसलों (Horticultural Crops) को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान किया जा सकेगा। सरकार ने कवरेज को उपज के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है और एमआईएस के तहत उपज की खरीद की बजाय किसानों के खाते में सीधे अंतर संबंधी भुगतान करने का एक नया विकल्प जोड़ा गया है। इसके अलावा टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में, सबसे अधिक कटाई के समय पर उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए परिवहन और भंडारण खर्च को वहन करने का निर्णय लिया है। इससे न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य मिलना सुनिश्चित हो सकेगा, बल्कि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए टीओपी फसलों की कीमतों में भी कमी देखने को मिलेगी।

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