प्रकाशित - 01 Mar 2024
देश में जमीनों की धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फर्जी कागजात तैयार करवाकर जमीनों को बेचकर भूमाफिया आम जनता को करोड़ों रुपए की चपत लगा रहे हैं। ऐसे में भूमि संबंधित विवाद बढ़ते जा रहे हैं और हर गांव में जमीन विवाद के कारण सामाजिक तानाबाना भी बिगड़ रहा है। जमीनों की खरीद-फरोख्त में बढ़ती धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार ने भूमि निबंधन नियमावली को फरवरी 2024 से लागू कर दिया है। इस नियमावली के लागू होने के बाद जमीनों की धोखाधड़ी रुकने की पूरी उम्मीद है क्योंकि जमाबंदी का नया नियम लागू होने से अब केवल वही व्यक्ति जमीन बेच सकेगा जिसके नाम जमाबंदी होगी। इस नए नियम के कारण अब जमीन रजिस्ट्री के पहले उससे संबंधित सभी कागजात सही किए जाएंगे, जिससे भविष्य में भूमि संबंधित विवाद में कमी आएगी। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में भूमि निबंधन नियमावली 2024 के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अक्सर देखने में आता है कि किसी पैतृक भूमि के कई हकदार होते हैं। नियमों की अनदेखी या धोखाधड़ी के उद्देश्य से कोई अपने भाई की जमीन बेच देता है तो कोई बहन या चाचा की। लेकिन सरकार के नए नियम भूमि निबंधन नियमावली के लागू होने से अब ऐसा नहीं होगा। अब जमीन को केवल वही व्यक्ति बेच सकेगा जिसके नाम पर जमाबंदी होगी। रजिस्ट्री कराने का अधिकार भी केवल उसी व्यक्ति को होगा। अगर पुश्तैनी जमीन बेचनी है तो उसका कानून के अनुसार बंटवारा किया जाएगा। इससे जमाबंदी खुद के नाम से कायम हो सकेगी। इस नियम को आसान भाषा में समझा जाए तो यह है कि अंचल कार्यालय में जिस व्यक्ति का रजिस्टर टू में नाम दर्ज रहेगा वही जमीन की बिक्री कर सकेगा। ऐसे में जमीन-खरीद बिक्री के पहले नए नियमों को ध्यान में रखना चाहिए। जमीन रजिस्ट्री का यह नया नियम बिहार में लागू हुआ है।
जमीन रजिस्ट्री का नया नियम लागू होने के बाद जमीन विवाद के मामले काफी हद तक कम होने की उम्मीद है। बिहार में भूमि निबंधन नियमावली लागू होने के बाद निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री कराने के लिए गिने-चुने लोग ही पहुंच रहे हैं। फिलहाल इसका असर सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नया नियम लागू होने के बाद पटना जिले में रजिस्ट्री के करीब 50 प्रतिशत मामले कम हो गए हैं। छपरा में जहां प्रतिदिन 50 से 60 रजिस्ट्री होती थी, वहां अब 20 से 25 ही रजिस्ट्री हो रही है। इसी प्रकार खगड़िया में जहां पहले 40 से 45 रजिस्ट्री होती थी वहीं, इन दिनों तीन या चार रजिस्ट्री हो पा रही है। पूर्णिया में नए नियम के बाद यह संख्या 40 से 45 हो गई है जो पहले औसतन 100 रजिस्ट्री हुआ करती थी।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियम लागू होने से फिलहाल रजिस्ट्री में कमी आई है और सरकार के राजस्व पर भी असर दिख रहा है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। भविष्य में न्यायालय पर जमीन से संबंधित मुकदमों का लोड कम होगा। नए नियम के बाद अब लोग जमीन के कागजातों में आवश्यक सुधार कराएंगे जिसका उन्हें भविष्य में फायदा होगा। इस नियम के बाद भूमाफियों पर नियंत्रण हो पाएगा। भूमाफिया गैर कानूनी धंधा नहीं कर पाएंगे। रजिस्ट्री के समय जमीन की बिक्री करने वाले व्यक्ति के नाम से जमा प्रमाण पत्र देना होगा। विक्रेता के नाम जमाबंदी नहीं होने की स्थिति में जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी।
जमीन की रजिस्ट्री के नए नियम लागू होने के बाद बिहार के निबंधन विभाग ने ऑनलाइन सिस्टम में भी बदलाव किया है। अब जमीन रजिस्ट्री के दौरान सभी आवश्यक जानकारी की जांच पड़ताल सही ढंग से की जा सकेगी। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि जमीन विवादों में भारी कमी आएगी। नई नियमावली के अनुसार पहले जमाबंदी और उसके बाद निबंधन का आदेश जारी किया गया है। जमीन की खरीद या बिक्री करने के लिए प्रकरण को जैसे ही ऑनलाइन सिस्टम में लोड किया जाएगा, कंप्यूटर सबसे पहले दाखिल-खारिज का नंबर मांगेगा। इस पर निबंधन दस्तावेज में अपनी संपत्ति की जमाबंदी संख्या, जमाबंदी जिल्द संख्या और जमाबंदी पृष्ठ संख्या की जानकारी सही से देनी होगी। लेकिन कई जगह से यह शिकायत सामने आई है कि पहले ऑनलाइन आवेदन, फिर 14 का इंतजार और उसके बाद कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इसके बाद आधे से ज्यादा आवेदन में निरस्त किए जा रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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