प्रकाशित - 22 Jan 2024
अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम होने के साथ ही प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोगों के राम मंदिर पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में मंदिर में काफी संख्या में फूल व उससे बनी मालाओं को चढ़ाया जाएगा। फूलों से मंदिर परिसर में गंदगी न हो इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है। भगवान श्री राम के चरणों में चढ़े हुए फूलों का सही उपयोग हो सके, इसके लिए अयोध्या नगर निगम ने एक अनूठी पहल शुरू की है। इसके तहत मंदिर में जो भी फूल या मालाएं चढ़ाई जाएंगी उनसे सुगंधित धूपबत्ती तैयार की जाएगी। इससे यहां महिलाओं को रोजगार मिलेगा और मंदिर की आय में भी वृद्धि होगी।
एक अनुमान के मुताबिक अयोध्या धाम के मंदिरों से प्रतिदिन 9 मीट्रिक टन वेस्ट फूल इकट्टठा होने की उम्मीद है। इसे रिसाइकिल किया जाएगा और इसके बाद प्रोप्रेस करके सुगंधित धूपबत्ती तैयार की जाएगी। अभी यहां के मंदिरों से प्रतिदिन 2.3 मीट्रिक टन फूल ही इट्टठा हो रहे हैं जिनसे सुगंधित धूपबत्ती तैयार की जा रही है। धूपबत्ती बनाने का काम महिलाओें द्वारा किया जा रहा है।
अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह के मुताबिक श्री रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद फूलों से धूपबत्ती बनाने के काम में तेजी लाई जाएगी। अयोध्या में प्रति वर्ष अनगिनत संख्या में तीर्थयात्री व श्रद्धालु आते हैं। वह मंदिरों में फूल व मालाएं चढ़ाते हैं जिससे काफी मात्रा में फूलों का ढेर लग जाता है। इस पुष्प को एकत्र करके प्राकृतिक अगरबत्ती में बदला जाता है। यह पहल यहां के मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों के अवशिष्ट को नया जीवन प्रदान करने का काम करती है। अब इस पहल को और आगे बढ़ाया जाएगा जिससे रोजगार के और अवसर पैदा होंगे।
एडीएम उपाध्यक्ष के ओएसडी विनीत पाठक के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 21 अक्टूबर 2023 को अयोध्या के मंदिरों में लोगों द्वारा चढ़ाए गए फूलों से बनी बांस रहित धूपबत्ती को लॉन्च किया था। यह परियोजना अयोध्या नगर निगम और नमामि गंगे कार्यक्रम से चलाई जा रही है। इसकी जिम्मेदारी फूल नाम के संगठन को सौंपी गई है।
अभी राममंदिर से प्रतिदिन 2.3 मीट्रिक टन अपशिष्ट फूलों का पुनर्चक्रण किया जा रहा है। धूपबत्ती बनाने प्लांट 8000 वर्ग फीट क्षेत्र में स्थापित किया हुआ है। इस प्लांट में अभी करीब 20 महिलाएं काम कर रही हैं। आने वाले समय में मंदिर से करीब 9 मीट्रिक टन फूलों के अपशिष्ट का पुनर्चक्रण सुनिश्चित किया जाएगा। इससे यहां लगे प्लांट में करीब 275 महिलाओं को रोजगार मिल सकेगा। इतना ही नहीं, यहां आने वाले लोगों के लिए धूपबत्ती बनाने की प्रक्रिया देखने, विधि सीखने और हस्तनिर्मित धूपबत्ती ले जाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होने पर फूलों के पुनर्चक्रण के लिए बड़े संयंत्र की स्थापना की जाएगी।
फूलों से धूपबत्ती बनाने के लिए अयोध्या के कई मंदिरों से फूलों का संग्रह किया जा रहा है। जिन मंदिरों से फूलों संग्रह किया जा रहा है उनमें स्वामीनारायण मंदिर, नागेश्वर नाथ मंदिर, हनुमान गढ़ी, कनक भवन, बड़े देवकाली मंदिर, छोटे देवकाली मंदिर, श्री काले राम मंदिर, गोरे राम मंदिर सहित राम जन्मभूमि मंदिर शामिल हैं, जहां से पुष्पों का संग्रह किया जा रहा है।
मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से धूपबत्ती निर्माण होने से एक ओर महिलाओं को रोजगार मिल सकेगा तो दूसरी ओर फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी लाभ होगा। मंदिर आने वाले भक्त फूल और मालाएं खरीदेंगे। इससे फूलों की डिमांड पहले से अधिक हो जाएगी और इसका सीधा फायदा फूलों की खेती करने वाले और फूल मालाएं बचने वालों को होगा। उनका काम पहले से अधिक चलेगा और उनकी कमाई में भी इजाफा होगा, क्योंकि राम मंदिर बनने से यहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु श्रीरामलला के दर्शन को आएंगे। बता दें कि किसानों को फूलों की खेती के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है। ऐसे में किसान सरकार की ओर से फूलों की खेती पर सब्सिडी का लाभ उठाकर इसकी खेती से काफी बेहतर कमाई कर सकते हैं।
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