प्रकाशित - 30 Aug 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खरीफ फसलों का सीजन चल रहा है और इस बार हुई अच्छी बारिश से किसानों को खरीफ की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद जागी है। अगस्त माह में बारिश अच्छी हुई है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का कहना है कि सितंबर में भी अच्छी बारिश की संभावना है। बारिश की अवधि इस बार लंबी होने वाली है। इस बार मानसून मेहरबान है। मौसम विभाग के मुताबिक इस महीने कम दबाव का क्षेत्र विकसित हो रहा है। इससे लंबे समय तक बारिश हो सकती है और इसका असर खरीफ फसलों की कटाई पर देखने को मिल सकता है।
ऐसा इसलिए कि गर्मी के मौसम और बारिश के शुरुआत में जिन फसलों की खेती की जाती है उनकी कटाई सितंबर के मध्य में की जाती है। इन फसलों में धान, कपास, मक्का, दाल, सोयाबीन आदि शामिल हैं। यदि बारिश का दौर लंबे समय तक चलता है तब इसका असर फसलों की कटाई पर पड़ सकता है और इससे फसलों को नुकसान होने का अंदेशा है। वहीं बाजार में कीमतें भी बढ़ सकती हैं। हालांकि इस नमी का लाभ रबी गेहूं और चना खेती को मिल सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सितंबर माह के तीसरे सप्ताह में एक कम दबाव का क्षेत्र विकसित होने की संभावना है। इसके कारण मानसून की बारिश लंबे समय तक चल सकती है। इसका असर धान की फसल पर पड़ सकता है। सितंबर के अंत तक बारिश देखी जा सकती है।
सामान्यत: भारत में मानसून का प्रवेश जून में होता है और 17 सितंबर तक यह देश के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों से वापस लौटना शुरू हो जाता है। अक्टूबर माह तक पूरे देश से मानसून की वापसी हो जाती है। लेकिन इस बार मानसून के देरी से वापस लौटने की संभावना है। आईएमडी के एक अन्य अधिकारी के मुताबिक सितंबर और अक्टूबर में मानसून की बारिश ला नीना मौसम की स्थिति से प्रभावित हो सकती है, जिसके अगले महीने से विकसित होने की संभावना है। पहले भी जब मानसून के दूसरे भाग में ला नीना विकसित होता था तो इससे मानसून की वापसी में देरी हुई है। इस बार भी यही पैटर्न देखने को मिल रहा है।
आईएमडी के मुताबिक इस साल एक जून को मानसून सत्र शुरू होने के बाद देश में औसत से 7 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। वहीं कुछ राज्यों में औसत से 66 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है और इससे इन जगहों पर बाढ़ की स्थिति बनी है।
कच्छ और सोराष्ट्र, पूर्वोत्तर अरब सागर और पाकिस्तान के आसपास के इलाकों पर गहरे दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। यह पिछले 6 घंटों के दौरान 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पश्चिम-दक्षिण पश्चिम की ओर बढ़ गया और 30 अगस्त 2024 को 5 बजकर 30 मिनट पर आईएसटी पर कच्छ तट और पाकिस्तान और पूर्वोत्तर अरब सागर के आसपास के इलाकों में अक्षांश 23.5 डिग्री उत्तर और देशांतर 68.4 डिग्री पूर्व, भुज (गुजरात) से 145 किलोमीटर पश्चिम-उत्तर पश्चिम, नलिया (गुजरात) से 50 किलोमीटर पश्चिम-उत्तर पूर्व और कराची (पाकिस्तान) से 200 किलोमीटर दक्षिणपूर्व में केंद्रित था। इसके लगभग पश्चिम की ओर बढ़ने, कच्छ और आसपास के पाकिस्तान तटों से दूर पूर्वोत्तर अरब सागर में उभरने और अगले 12 घंटों के दौरान एक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है। इसके बाद अगले 36 घंटों के दौरान उत्तरी आंध्र प्रदेश और दक्षिणी ओडिशा के ऊपर एक डिप्रेशन के रूप में तेज होने की संभावना है। इसके बाद यह अगले 2 दिनों के दौरान भारतीय तट से दूर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर पश्चिम उत्तर पश्चिम दिशा मे आगे बढ़ना जारी रखेगा। इस तूफान का नाम असना रखा गया है। यह नाम पाकिस्तान ने दिया गया है।
स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिण कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, दक्षिण ओडिशा, तेलंगाना, विदर्भ, दक्षिण छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश के साथ कुछ जगहों पर भारी बारिश हो सकती है।
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी राजस्थान, गुजरात के कुछ भागों, मराठवाड़ा, कोंकण ओर गोवा, आंतरिक कर्नाटक, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समू और पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों में हल्की से मध्यम बारिश संभव है।
सिक्किम, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान और मध्य महाराष्ट्र में हल्की बारिश हो सकती है।
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